Saturday, 11 February 2017

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भारत में आरक्षण बस एक दवाई है बीमारी तो......

       
               आज हम देखते है गली से लेकर दिल्ली (पार्लिमेंट) तक आरक्षण की चर्चा होती है | आरक्षण के सन्दर्भ में समर्थन और विरोध ऐसे दोनों तरफ से चर्चा होती है, अगर इसे हम गौर से देखे तो पढ़ा लिखा भी अक्सर ऊपर ऊपर से अपना मत प्रदर्शित करता है ,समस्या की जड़ तक जाने का कोई प्रयास नहीं करता | अगर भारत के इतिहास को गौर से देखे तो अंदरूनी मतभेत के कारण भारत को कई सालो तक गुलामी का सामना करना पड़ा | अगर हमारे भारत में समता, बंधुता और एकता होती तो शायद ही कोई भारत पर आक्रमण कर के उसपर राज करने की हिम्मत नहीं करता, पर हमारा दुर्भाग्य है की हमारे पूर्वज आपस में ही लड़ने में इतने मग्शुल हो गए थे की उन्हें भी पता नहीं चला, उन्होंने भारत को कब गुलामी की खाई में धकेल दिया | उनकी अगली एक दो पीढ़िया भारत को गुलामी मुक्त करने में चली गयी | जब हम आपस में लड़ रहे थे तब दुसरे देश तेजी से आगे बढ़ रहे थे | जब हम अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की जंग लड रहे थे तब दुसरे राष्ट्र के नौजवान ज्ञान विज्ञान के प्रगतिपथ पर आगे चल रहे थे |

           आज ऐसा समय है, जहा हमारे देश के नौजवानों को तेजी से बढ़ रहे ज्ञान विज्ञान की मदद से देश के सामने जो समस्या है उन्हें नष्ट करने के प्रयास में लगना चाहिए लेकिन हमारे देश के नौजवान जाती धर्म में इतने उलझे हुए है की फेसबुक, ट्विटर, जैसे शोशियल मिडिया पर भी वह जाती धर्म की लडाई लड़ते है | राजनितिक पार्टिया भी जाती धर्म के नाम पर उन्हें एक दुसरे खिलाफ खड़ा कर अपनी वोट बैंक मजबूत करती है |

          चुनाव आते ही आरक्षण का मुद्दा सामने आता है , कोई आरक्षण देने की बात करता है तो कोई आरक्षण हटाने की बात करता है उन सबकी बातो के पीछे उनका निजी स्वार्थ होता है यह हम सभी जानते है | लेकिन हम यह नहीं जानते की भारत जब आजाद हुवा तब संविधान में आरक्षण का प्रावधान करना जरुरी क्यों था, क्यों आरक्षण दिया गया ? आरक्षण देने के पीछे असली मकसद क्या था ? अगर आरक्षण का प्रावधान सिमित समय के लिए किया गया था तो आज भी आरक्षण जारी क्यों है क्या वजह है जो हम हमारे संविधान के अनुसार समतामूलक समाज की रचना करने में सफल नहीं हो पाए ? यह समस्या/ सवाल बहोत ही गंभीर है जिनका हल निकलना जरुरी है हमारे लिए नहीं बल्कि नए उभरते भारत के लिए, हमारी आनेवाली पीढ़ियों के लिए यह बेहद जरुरी है की हम आज भारत में समतामूलक समाज की स्थापना कर आनेवाले भारत की पीढ़ी का भविष्य उज्वल करे |

         आरक्षण का मुद्दा जब जब सामने आता है तो सफलता विफलता की बाते होती है मगर समस्या के जड़ तक जाने का कोई प्रयास नहीं करता | दरअसल भारत में आरक्षण तो बस एक दवाई है बीमारी तो जातीधर्म है | आरक्षण का आधार जाति धर्म है, पिछाडापण है, विषमता है , आरक्षण को हटाने से पहले हमें इन समस्याओं को मिटाना होगा आरक्षण तो आपनाप ही मिट जायेगा | जहा सामाजिक,आर्थिक शिक्षा की बराबरी हो वहा आरक्षण की जरुरत ही क्यों होगी ? पर अगर सामाजिक,आर्थिक, शिक्षा में असमानता रहेगी तो इस असमानता को नष्ट कर समानता लाने के लिए आरक्षण बेहद जरुरी है | अगर कोई हक़ से वंचित है तो उसे उसका हक़ दिलाना हमारा कर्तव्य है | वह इसिलए नहीं की वह कमजोर है बल्कि इसीलिए क्योंकी हम सब भारतीय है हमारी सत्य संस्कृति ही हमें यह सिखाती है |    

     

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