भारतीय संविधान के रचयिता और असल रूप में जो भारत के राष्ट्रपिता कहलाते है वह विद्वान महापुरुष डाक्टर भीमराव बाबासाहब आंबेडकर कहते थे सभी देशवासियों एक ही भाषा में बोलना सिखाओ और क्या होता है चमत्कार देखो ! बाबासाहब का इशारा हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी को मजबूत करकर के भारत की आनेवाली पीढ़ी को सक्षम बनाना था | बाबासाहब की सोच बहोत दूर की और भारत कल्याण की थी | बाबासाहब आंबेडकर के बाद आज तक किसी ने भी हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी को मजबूत करने का विचार नहीं किया न ही यहाँ के युवाओं में आज जो एकता का आभाव है वह दूर करने का प्रयास किया |
आज भी हम अपने ही देश की व्यवस्था चाहे वह संसद , शिक्षा, या न्यायव्यवस्था हो इनको चलाने के लिए विदेसी भाषा को ज्यादा महत्व देते है | हम यह कभी नहीं सोचते की हम जितने विदेसी भाषा पर निर्भर रहेंगे उतने ही कमजोर होते चले जायेंगे | इसके कही कारन है, हमारी शिक्षा व्यवस्था में अंग्रेजी भाषा के चलते बहोत से विद्यार्थियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है , कही परीक्षार्थीयोंमें क्षमता होने के बावजूद भी उन्हें पीछे रहना पड़ता है | आगे जाकर के यही युवा वर्ग बेरोजगारी का शिकार हो जाते है | इसमें उनका कोई दोष नहीं है अगर दोष किसी का है तो वो है यहाँ के लोगोपर थोपी हुयी अंग्रेजी भाषा का | यहाँ लोग जन्म से लेकर जवानी तक जिस मातृभाषा हिंदी के साथ हसते खेलते बड़े होते है उसे दूर कर रोजगार के लिए यहाँ के युवा वर्ग को विदेसी भाषा को मजबूरन अपनाना पड़ता है |
अगर आप किसी विदेसी को पकड़ कर हिंदी भाषा सिखायेंगे और उसे अच्छी नोकरी पाने के लिए हिंदी भाषा में इम्तेहान देने को कहोगे तो क्या वह सफल हो पायेगा ? मान लीजिये वह सफल भी होगा लेकिन उसे कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी बहोत सारा वक्त उसे खर्च करना पड़ेगा तब जाकर के वह हिंदी सिख कर परीक्षा में सफल हो पायेगा | यहाँ पर ज्यादा विदेसी लोग हिंदी भाषा में सफलता नहीं पा सकते है क्योंकि मैंने आज तक किसी अंग्रेज विदेसी को फर्राटेदार हिंदी बोलते नहीं देखा उस तुलना में भारत के लोग फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते है, इसका मतलब यह है की यहाँ के युवा वर्ग में हुनर की कोई कमी नहीं है |
क्या होगा अगर हिंदी भाषा को हम हमारे सिस्टम मुख्य भाषा के रूप में इस्तेमाल करते है तो....
१) एक भाषा के कारन यहाँ के लोगो में एकता बढ़ेगी |
२) अगर हम शिक्षा में हमारी राष्ट्रभाषा को प्राथमिक रूप से स्वीकार करेंगे तो हमारे युवा वर्ग को केवल विदेसी भाषा ना आने के कारन बेरोजगार नहीं रहना पड़ेगा |
३) अगर न्यायव्यवस्था में हम हिंदी भासः को प्रथम भासः का दर्जा देते है तो भारत का हर एक नागरिक भारतीय कानून व्यवस्था को समाज पायेगा| अपने हक़ की लडाई वह खुद लडेगा | और न्याय पा लेगा |
४) शिक्षा में हिंदी भाषा को उचित दर्जा मिलने पर हमें ज्ञान विज्ञान तकनीक विषय में बाकि देशो पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा | यहाँ का युवा वर्ग तकनिकी क्षेत्र में विदेशियों की बराबरी ही नहीं बल्कि उनसे भी आगे निकल जायेगा |
Subscribe by Email
Follow Updates Articles from This Blog via Email
No Comments