Tuesday, 21 March 2017

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भाषा से है आशा : बढ़ेगी राष्ट्रभाषा बढ़ेगा भारत

           
भारतीय संविधान के रचयिता और असल रूप में जो भारत के राष्ट्रपिता कहलाते है वह विद्वान महापुरुष डाक्टर भीमराव बाबासाहब आंबेडकर कहते थे सभी देशवासियों एक ही भाषा में बोलना सिखाओ और क्या होता है चमत्कार देखो ! बाबासाहब का इशारा हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी को मजबूत करकर के भारत की  आनेवाली पीढ़ी को सक्षम बनाना था | बाबासाहब की सोच बहोत दूर की और भारत कल्याण की थी | बाबासाहब आंबेडकर के बाद आज तक किसी ने भी हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी को मजबूत करने का विचार नहीं किया न ही यहाँ के युवाओं में आज जो एकता का आभाव है वह दूर करने का प्रयास किया | 

           आज भी हम अपने ही देश की व्यवस्था चाहे वह संसद , शिक्षा, या न्यायव्यवस्था हो इनको  चलाने के लिए विदेसी भाषा को ज्यादा महत्व देते है | हम यह कभी नहीं सोचते की हम  जितने विदेसी भाषा पर निर्भर रहेंगे उतने ही कमजोर होते चले जायेंगे | इसके कही कारन है, हमारी शिक्षा व्यवस्था में अंग्रेजी भाषा के चलते बहोत से विद्यार्थियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है , कही परीक्षार्थीयोंमें क्षमता होने के बावजूद भी उन्हें पीछे रहना पड़ता है | आगे जाकर के यही युवा वर्ग बेरोजगारी का शिकार हो जाते है | इसमें उनका कोई दोष नहीं है अगर दोष किसी का है तो वो है यहाँ के लोगोपर थोपी हुयी अंग्रेजी भाषा का | यहाँ लोग जन्म से लेकर जवानी तक जिस मातृभाषा हिंदी के साथ हसते खेलते बड़े होते है उसे दूर कर रोजगार के लिए यहाँ के युवा वर्ग को विदेसी भाषा को मजबूरन अपनाना पड़ता है |

       अगर आप किसी विदेसी को पकड़ कर हिंदी भाषा सिखायेंगे और उसे अच्छी नोकरी पाने के लिए  हिंदी भाषा में इम्तेहान देने को कहोगे तो क्या वह सफल हो पायेगा ? मान लीजिये वह सफल भी होगा लेकिन उसे कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी बहोत सारा वक्त उसे खर्च करना पड़ेगा तब जाकर के वह हिंदी सिख कर परीक्षा में सफल हो पायेगा | यहाँ पर ज्यादा विदेसी लोग हिंदी भाषा में सफलता नहीं पा सकते है क्योंकि मैंने आज तक किसी अंग्रेज विदेसी को फर्राटेदार हिंदी बोलते नहीं देखा उस तुलना में भारत के लोग फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते है, इसका मतलब यह है की यहाँ के युवा वर्ग में हुनर की कोई कमी नहीं है |

         क्या होगा अगर हिंदी भाषा को हम हमारे सिस्टम मुख्य भाषा के रूप में इस्तेमाल करते है तो....


१) एक भाषा के कारन यहाँ के लोगो में एकता बढ़ेगी | 

२) अगर हम शिक्षा में हमारी राष्ट्रभाषा को प्राथमिक रूप से स्वीकार करेंगे तो हमारे युवा वर्ग को केवल विदेसी भाषा ना आने के कारन बेरोजगार नहीं रहना पड़ेगा | 

३) अगर न्यायव्यवस्था में हम हिंदी भासः को प्रथम भासः का दर्जा देते है तो भारत का हर एक नागरिक भारतीय कानून व्यवस्था को समाज पायेगा| अपने हक़ की लडाई वह खुद लडेगा | और न्याय पा लेगा | 

४) शिक्षा में हिंदी भाषा को उचित दर्जा मिलने पर हमें ज्ञान विज्ञान तकनीक विषय में बाकि देशो पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा | यहाँ का युवा वर्ग तकनिकी क्षेत्र में विदेशियों की बराबरी ही नहीं बल्कि उनसे भी आगे निकल जायेगा |    

Wednesday, 15 March 2017

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यह मोदी लहर नहीं ये तो EVM मशीन की लहर

  
    जो अमेरिका जैसे शक्तिशाली देशो ने फेक दिया उसे हमने उठाया है और चला रहे है |  जी हा हम बात कर रहे है EVM मशीन की | पिछले ३ / ४  सालो में भारत की लोकशाही में बहोत से चमत्कार हुए जिसे, मोदी चमत्कार कहा जाता है, पर यह किसी ने सोचा तक नहीं की ये जो चमत्कार हो रहे है इसके पीछे मोदी नहीं बल्कि EVM मशीन का हात है | यही सोचनेवाली बात है की हमेशा सांप्रदायिकता के विवादों में फसी रही राजकीय  पार्टी स्पष्ट बहुमत के आधार पर सत्ता में कैसे आई ? एकाएक जनमत कैसे पलट गया ? इसका जवाब हमें EVM मशीनही दे सकती है |

    अमरीका जैसे बड़े देशों ने EVM मशीन का इस्तेमाल बंद किया है उसकी कही वजह है | सबसे बड़ी वजह यह है की इस मशीन को हॅक करना पॉसिबल है | अमरीका के बड़े बड़े सोफ्टवेयर इंजिनीअर भी चुनाव में EVM मशीन न इस्तेमाल किये जाने के पक्ष में थे |  अगर इस मशीन में गड़बड़ी की जा सकती है तो यह लोकतंत्र के लिए बहोत बड़ा खतरा है यह इन देशों ने जाना माना और EVM मशीन को गुडबाय कर दिया | लेकिन भारत में आज इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन का इस्तेमाल हो रहा है और  इस मशीन से जुड़े बहोत से घोटाले भी सामने आ रहे है , बहोत से घोटाले दबाये भी गए है पर यह सारी बाते इसी और इशारा करती है की २०१४ से आयी यह लहेर मोदी लहर नहीं बल्कि EVM मशीन की लहर है !    

Wednesday, 15 February 2017

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कब हासिल होगी हमारी मजिल जो लिखी है संविधान के पहले पन्ने पर......


         भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा संविधान है वह इसीलिए नहीं की भारत की भूमि बड़ी है, या यहाँ की आबादी ज्यादा है , बल्कि इसीलिए बड़ा है क्यूंकि इस संविधान में वो सारे प्रावधान है जो मानवजाती के उन्नति के लिए जरुरी है  यह प्रावधान लिखित रूप में है वह इसीलिए की आजादी तक भारत में जो कानून चले आ रहे थे वो तो किसी धर्म के मुताबिक या परंपरा के मुताबिक चले आ रहे थे जिनकी वजह से भारत में मुट्ठीभर लोग बहुजन समाज पर राज करते चले आ रहे थे आज भी वही चल रहा है |

                   एक और मुट्ठीभर लोग भरपेट खाते है और अपने कुत्तों को भी खिलाते है वह भी चांदी की थाली में दूसरी और भारतीय समाज का बड़ा हिस्सा आज भी अनाज के दाने दाने के लिए तरसता है | हमने ठान लिया है की भारत को डिजिटल कर देंगे, कैशलेस कर देंगे पर यह नहीं सोचा की जो पहले से ही कॅशलेस है उनका क्या करेंगे ? जो आज भी दो वक्त की रोटी नहीं खा सकते उनका क्या करेंगे ? बेरोजगारों का क्या करेंगे ? जाती धर्म के नाम पर दंगे, तेजी से बढ़ाते चोर उचक्के लफंगे इन सबका क्या करेंगे ? दुनिया को दिखाने के लिए हम सीना तान के मेरा भारत महँ है कहेंगे पर इस महान भारत के अंदर महामारी जो चल रही है इसे कैसे निपटेंगे ? यहाँ के राजकीय दलों के अच्छे हो या भ्रष्ट नेता, कार्यकर्त्ता भी लाखो के सूट, करोडो की गाड़िया लेकर घुमते है , लेकिन जो आज भी भारतीय संस्कृति के रखवाले बन गावो में झोपड़ियों में और शहरो में फुटपाथ पर रह रहे है उनका क्या करेंगे?


      आज परस्थितिया ऐसी है की हमें हमरी मंजिल तो पता है पर हासिल करने में किसी में ताक़त नहीं न ही इच्छा | जिनके पास सत्ता है पर उन्हें संविधान में निरधारित मंजिल पाने इच्छा नहीं है जिन्हें इच्छा है उनके पास सत्ताबल नहीं है | ऐसी विपरीत परिस्थिति में है हमारा प्यारा भारत देश |


यह है भारत के संविधान की असली मंजिल 


                 हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए, तथा उसके समस्त नागरिकों को:

सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता, प्राप्त कराने के लिए,

              तथा उन सब में, व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित कराने वाली, बंधुता बढ़ाने के लिए, दृढ़ संकल्प होकर अपनी संविधानसभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।

        क्या पाना है हमें ? सामाजिक आर्थिक और राजनितिक न्याय , अभिव्यक्त, विश्वास, धर्म की उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता.


६० सालों में क्या पाया है हमने ? 


               संविधान के उद्देशिका का पठन तो हम जोरो शोरो से करते चले आ रहे है पर क्या पाया है हमने आज तक ? सामाजिक  न्याय ? अगर हमने संविधान का यह उद्देश्य पा लिया होता तो आज भी दलित, पिछड़े समाज के लोगों पर जाती धर्म के नाम से बहिष्कार की नौबत नहीं आती | जाती धर्म के नाम पर यो कतल होते न दिखते |  आर्थिक न्याय ? किसे मिला आर्थिक न्याय  करोडो का चुना लगानेवाले विजय माल्या , ललित मोदी जैसों को या आज भी दरिद्रता का जीवन जी रहे, विषमताभरी व्यवस्था की मार झेल रहे बहुजन समाज को  ?
 राजनितिक न्याय ? राजनितिक न्याय तो बहोत दूर की बात है, क्यों की आज सत्ता में जो चेहरें दिख रहे है जो पिछड़े, दलित गिने जाते है यहाँ वह भी कटपुतलिया है यहाँ के प्रस्थापितों की | समाज को बुरी तरह अपनी जाल में फसाकर सत्ता में रहनेवालो के सामने ये चाहकर भी कुछ नहीं कर सकते |

  अभिव्यक्त, विश्वास, को तो हर पल कुचला जाता है |  धर्म की उपासना की स्वतंत्रता, इसपर तो उसीका हक़ है जो सत्ता में है जो वो चाहें | प्रतिष्ठा और अवसर की समता. प्रतिष्ठा और अवसर(वह चाहें शिक्षा में हो या नोकरी, या राजनीती) इसपर  तो आज उनका ही हक़ है जिनके पास पैसा है | और बहुजन समाज के पास वो है नहीं |


कुल मिलाकर हमने क्या पाया है ? जो पाया वो सब कुछ उन्होंने ही पाया जो आज तक बहुजनो पर राज करते चले आ रहे थे | आज फिर भी हमने हार नहीं मानी निगाहे है  मंजिल पर है जो लिखी है संविधान के पहले पन्ने पर !




     

Tuesday, 14 February 2017

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भारत ने रचा इतिहास , एकसाथ की १०४ सेटेलाईट लॉन्च

        स्पेस में एकसाथ १०४ सेटेलाईट लॉन्च करकर भारतीय वैज्ञानिकोंने एक नया इतिहास रच दिया है | हम सभी भारतीयोंके लिए यह बड़ी गर्व की बात है | पुरे विश्व में सिर्फ ६ ही अन्तरिक्ष एजेंसिया ऐसी है  जिनके पास अपने धरती पर सेटेलाईट बनाने की और छोड़ने की क्षमता है , भारत उनमें से एक है |


भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दी भारतीय वैज्ञानिकों को बधाई !

ट्विटर के जरिये भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस्रो (ISRO) के इस कामयाबी पर बधाई दी है

Sunday, 12 February 2017

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बॉक्स ऑफिस पर जॉली एल एल बी 2 की दो दिन की कमाई.. (JOLLY LLB 2 Box Office Collection)

      अक्षय कुमार की   १० फरवरी को रिलीज हुई फिल्म जॉली एल.एल.बी २ ने दो दिन में बॉक्स ऑफिस पर ३०.५१ करोड़ की कमाई कर ली है | आपको बता दे की पहले ही दिन इस फिल्म ने १२ करोड़ की कमाई की | पहले दिन के मुकाबले इस फिल्म ने दुसरे दिन अच्छी कमाई की | बॉक्स ऑफिस इंडिया के मुताबिक इस फिल्म की दुसरे दिन की कमाई लगभग १६.२५ करोड़ रही | कुल मिलकर यह फिल्म दो दिन में ३० करोड़ का आकडा पर करने में सफल रही |
    

Saturday, 11 February 2017

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हॅक होने से बचाए अपना गूगल अकाउंट ऐसे करे सुरक्षित...

           ( क्या आप गूगल की इमेल सर्विस, गूगल प्लेस्टोर, गूगल प्लस, गूगल मैप,  यूट्यूब इस्तेमाल करते है ? तो यह पोस्ट पढ़ना आपके लिए बेहद जरुरी है )  

            दोस्तों पिछले दो दशकों से टेक्नोलोजी बहोत ही तेजी से आगे बढ़ रही है, आज गूगल, फेसबुक, व्हाट्सप हमारे जीवन के आवश्यक अंग बन चुके | जीतनी तेजी से टेक्नोलोजी आगे बढ़ रही है उतनी ही तेजी से इनसे सम्बंधित खतरे भी बढ़ रहे है | अकाउंट हॅक हो जाना,  हॅक करकर उसका गलत इस्तेमाल करना,  व्हायरस के जरिये निजी डाटा की चोरी हो जाना यह समस्याए तेजी से बढ़ रही है |  इन सब से बचने के लिए आपको सावधानी बरतनी बहोत ही जरुरी है अगर आप उचित सावधानी नहीं बरतते तो अगला नंबर आपका भी हो सकता है |
               आज हम आपको बताने जा रहे है की कैसे आप 'टू स्टेप वेरिफिकेशन टूल' के जरिये अपना गूगल का खाता अधिक सुरक्षित कर सकते है , जिससे आपके गूगल अकाउंट  हॅक होने के चांसेस कम हो जाते है |


        टू स्टेप वेरिफिकेशन एक ऐसा माध्यम है जिसके जरिये आप अपने गूगल अकाउंट को अधिक सुरक्षित कर सकते है | अगर आप टू स्टेप वेरिफिकेशन एक्टिवेट करते है तो आपको अपने गूगल अकाउंट में इंटर करने के लिए दो स्टेप के जरिये वेरीफाय करना होगा, एक तो पासवर्ड और दूसरा कोड जो लॉग इन करते समय आपके मोबाईल आएगा | इसका मतलब अगर आपका पासवर्ड किसी और को पता भी चल गया तो भी वो आपके अकाउंट में लॉग इन नहीं कर पायेगा क्योंकी लॉग इन करने के लिए पासवर्ड के साथ मोबाईल पर भेजा गया कोड भी जरुरी है जो उसके पास नहीं होगा | तो क्या आप गूगल के इस टू स्टेप वेरिफिकेशन को एक्टिवेट करना चाहोगे ? तो फोलो कीजिये कुछ आसान सी स्टेप्स और बनाये अपने गूगल के खाते को और भी सुरक्षित....


१) स्टेप १ : 
                   आपको पहले गूगल के 'टू स्टेप वेरिफिकेशन' के पेज पर जाना होगा | इसके लिए पहले आपको गूगल के अकाउंट में लॉग इन करना जरुरी है | टू स्टेप वेरिफिकेशन के पेज पर जाने के लिए यहाँ क्लिक करे ➤➤➤➤➤ गूगल टू स्टेप वेरिफिकेशन


२) स्टेप २ :     
                    अब आपके स्क्रीन पर निचे दिखाई गयी विंडोज ओपन होगी जिसपर आपको GET STARTED बटन दिखाई देगा उसपर क्लिक करना है |
                   






















३) स्टेप ३ : 
                 गेट स्टार्टेड (GET STARTED) बटन पर क्लिक करने के बाद आपको आपका मोबाईल नंबर आपके गूगल खाते को जोड़ना है , मोबाईल नंबर इंटर करने के बाद  टेक्स्ट मेसेज (Text Message) ऑप्शन सिलेक्ट करके नेक्स्ट (Next) बटन पर क्लिक करे.....



४) स्टेप ४ : 
                    नेक्स्ट क्लिक करने के बाद आपके मोबाईल पर गूगल कोड का मेसेज आएगा जो कोड आपको इंटर करके नेक्स्ट बटन पर क्लिक करना है |
 

५) स्टेप ५ : 
                     चौथी  स्टेप को फोलो करने के बाद आपका मोबाईल नंबर आपके गूगल खाते को जोड़ दिया जायेगा अब आप टर्न ऑन (Turn On) बटन पर क्लिक करके टू स्टेप वेरिफिकेशन सक्रिय कर सकते है !


                किसी कारणवश अगर आपको टू स्टेप वेरिफिकेशन बंद करना हो तो आप गूगल के टू स्टेप वेरिफिकेशन पेज पर जाकर उसे बंद कर सकते है | इसकेलिए आपको सिर्फ टर्न ऑफ (Turn Off) बटन पर क्लिक करना है



  
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भारत में आरक्षण बस एक दवाई है बीमारी तो......

       
               आज हम देखते है गली से लेकर दिल्ली (पार्लिमेंट) तक आरक्षण की चर्चा होती है | आरक्षण के सन्दर्भ में समर्थन और विरोध ऐसे दोनों तरफ से चर्चा होती है, अगर इसे हम गौर से देखे तो पढ़ा लिखा भी अक्सर ऊपर ऊपर से अपना मत प्रदर्शित करता है ,समस्या की जड़ तक जाने का कोई प्रयास नहीं करता | अगर भारत के इतिहास को गौर से देखे तो अंदरूनी मतभेत के कारण भारत को कई सालो तक गुलामी का सामना करना पड़ा | अगर हमारे भारत में समता, बंधुता और एकता होती तो शायद ही कोई भारत पर आक्रमण कर के उसपर राज करने की हिम्मत नहीं करता, पर हमारा दुर्भाग्य है की हमारे पूर्वज आपस में ही लड़ने में इतने मग्शुल हो गए थे की उन्हें भी पता नहीं चला, उन्होंने भारत को कब गुलामी की खाई में धकेल दिया | उनकी अगली एक दो पीढ़िया भारत को गुलामी मुक्त करने में चली गयी | जब हम आपस में लड़ रहे थे तब दुसरे देश तेजी से आगे बढ़ रहे थे | जब हम अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की जंग लड रहे थे तब दुसरे राष्ट्र के नौजवान ज्ञान विज्ञान के प्रगतिपथ पर आगे चल रहे थे |

           आज ऐसा समय है, जहा हमारे देश के नौजवानों को तेजी से बढ़ रहे ज्ञान विज्ञान की मदद से देश के सामने जो समस्या है उन्हें नष्ट करने के प्रयास में लगना चाहिए लेकिन हमारे देश के नौजवान जाती धर्म में इतने उलझे हुए है की फेसबुक, ट्विटर, जैसे शोशियल मिडिया पर भी वह जाती धर्म की लडाई लड़ते है | राजनितिक पार्टिया भी जाती धर्म के नाम पर उन्हें एक दुसरे खिलाफ खड़ा कर अपनी वोट बैंक मजबूत करती है |

          चुनाव आते ही आरक्षण का मुद्दा सामने आता है , कोई आरक्षण देने की बात करता है तो कोई आरक्षण हटाने की बात करता है उन सबकी बातो के पीछे उनका निजी स्वार्थ होता है यह हम सभी जानते है | लेकिन हम यह नहीं जानते की भारत जब आजाद हुवा तब संविधान में आरक्षण का प्रावधान करना जरुरी क्यों था, क्यों आरक्षण दिया गया ? आरक्षण देने के पीछे असली मकसद क्या था ? अगर आरक्षण का प्रावधान सिमित समय के लिए किया गया था तो आज भी आरक्षण जारी क्यों है क्या वजह है जो हम हमारे संविधान के अनुसार समतामूलक समाज की रचना करने में सफल नहीं हो पाए ? यह समस्या/ सवाल बहोत ही गंभीर है जिनका हल निकलना जरुरी है हमारे लिए नहीं बल्कि नए उभरते भारत के लिए, हमारी आनेवाली पीढ़ियों के लिए यह बेहद जरुरी है की हम आज भारत में समतामूलक समाज की स्थापना कर आनेवाले भारत की पीढ़ी का भविष्य उज्वल करे |

         आरक्षण का मुद्दा जब जब सामने आता है तो सफलता विफलता की बाते होती है मगर समस्या के जड़ तक जाने का कोई प्रयास नहीं करता | दरअसल भारत में आरक्षण तो बस एक दवाई है बीमारी तो जातीधर्म है | आरक्षण का आधार जाति धर्म है, पिछाडापण है, विषमता है , आरक्षण को हटाने से पहले हमें इन समस्याओं को मिटाना होगा आरक्षण तो आपनाप ही मिट जायेगा | जहा सामाजिक,आर्थिक शिक्षा की बराबरी हो वहा आरक्षण की जरुरत ही क्यों होगी ? पर अगर सामाजिक,आर्थिक, शिक्षा में असमानता रहेगी तो इस असमानता को नष्ट कर समानता लाने के लिए आरक्षण बेहद जरुरी है | अगर कोई हक़ से वंचित है तो उसे उसका हक़ दिलाना हमारा कर्तव्य है | वह इसिलए नहीं की वह कमजोर है बल्कि इसीलिए क्योंकी हम सब भारतीय है हमारी सत्य संस्कृति ही हमें यह सिखाती है |